लापरवाह गिल्लू
बूढ़े हिरण की एक बहन थी | एक दिन वह अपने बेटे को लेकर आयी और कहा - भइया मेरे बेटे को अपने जैसा चालाक और मजबूत बना दो | उसके बेटे का नाम गिल्लू था|
बूढ़े हिरण ने गिल्लू की तरफ देखा और कहा - कल से तुम्हारी शिक्षा शुरू होगी, सूर्योदय से पहले आ जाना|
अगले दिन से गिल्लू अपने समय से कक्षा में आने लगा | कक्षा में गिल्लू की मुलाकात दूसरे युवा हिरणो से हो गई और उन सब से गिल्लू की मित्रता भी हो गई|
अब वह अपना अधिक समय अपने दोस्तों के साथ खेलने-कूदने में बिताने लगा और प्रत्येक दिन कक्षा में देर से आने लगा | उसे इस बात का आभास भी नहीं था की आगे उसके साथ क्या होनेवाला है|
एक दिन जब गिल्लू अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था तभी वह शिकारी के फंदे में फंस गया | वह छुटकारा पाने का बहोत प्रयास किया लेकिन वह असफल रहा | उसके सभी दोस्त भयभीत होकर अपने अपने घर भाग गए|
जब गिल्लू शाम तक अपने घर नहीं पहुंचा तब उसकी माँ बूढ़े हिरण के पास गई और पूछी - मेरा बेटा कहा है? क्या उसकी शिक्षा अच्छी तरह से चल रही है?
बूढ़े हिरण ने कहा - तुम्हारा बेटा लापरवाह हो गया है, वह पढाई करने के बजाय हमेशा खेलता-कूदता रहता है | क्युकी वह तुम्हारा बेटा है इसलिए मैंने उसे शिक्षा देने का बहुत प्रयास किया लेकिन तुम्हारा बेटा मेरी आज्ञा मानाने से इंकार कर देता है|
उसकी माँ को यह सुनकर बहुत बुरा लगा और अपने घर की ओर निकल गई | रास्ते में वह एक शिकारी को देखती है जो उसके बेटे को मारकर उसका मीट और चमड़े ले जा रहा था|
शिक्षा - लापरवाही का भयंकर परिणाम हो सकता है|